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गुणाया जी

जिस पावन भूमि पर परमात्मा महावीर के अनेक समवशरण लगे... जहाँ के कण-कण में परमात्मा महावीर की वाणी विद्यमान है... जहाँ प्रभु महावीर के प्रथम गणधर गौतमस्वामी को केवलज्ञान प्राप्त हुआ... जहाँ पावापुरी की प्रतिकृति स्वरूप विशाल तालाब में मंदिर स्थित है। ऐसी तपोमयी, साधना से परिपूर्ण परम पावन केवलज्ञान भूमि श्री गुणायाजी तीर्थ का शाखशुद्ध जीर्णोद्धार प्रारंभ हो गया है।

यह जीर्णोद्धार सभी गच्छों के गच्छाधिपति एवं आचार्य भगवंतों के पावन आशीर्वाद से तथा पूज्य गुरुदेव अवंति तीर्थोद्धारक, 236 जिन मंदिरों के प्रतिष्ठाकारक, युग दिवाकर, गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की पावन प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से हो रहा है। प्रख्यात सोमपुरा श्री मुकेशकुमारजी कन्हैयालालजी सोमपुरा ने मंदिर का मानचित्र तैयार किया है तथा पांडित्य फुटप्रिंट. आर्किटेक यतिन पंड्याजी ने इसका संपूर्ण मास्टर प्लान तैयार किया है। यहाँ परमात्मा महावीर ने समवशरण में चौमुख विराजमान होकर देशना दी। अतः उस समवशरण की प्रतिकृति रूप चौमुख जिनालय बनाने का निश्चय किया है।

इस स्थान पर प्रथम गणधर गौतमस्वामी ने केवलज्ञान प्राप्त

करने के बाद अपनी प्रथम देशना यहीं दी थी। उस पावन

बेला के स्मरण स्वरूप गौतम स्वामी का मंदिर भी चौमुख बनेगा। पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. द्वारा प्रदत्त शुभ मुहूर्त ता. 2 दिसंबर 2022 को श्री गुणायाजी तीर्थ में परमात्मा महावीर, गौतमस्वामी आदि की प्रतिमाओं व चरण पादुकाओं का विधि विधान के साथ सकल संघ की उपस्थिति में उत्थापन विधान करके नवनिर्मित सभागार में उनकी चल प्रतिष्ठा संपन्न की गई। जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ हो गया है। शिलान्यासता. 25-5-22. जेठ वदि दशम को अति हर्षोल्लास के साथ किया गया था।

जिनशासन के शब्दकोश का सबसे प्रिय, मंगलमय, अमृतमय शब्द हैं. गौतम ! परमात्मा महावीर के द्वारा बार-बार उच्चरित होने वाला शब्द हैं. गौतम! विनय और समर्पण की जीवन्त प्रतिमा का नाम है. गौतम! अनन्त शक्तियों, सिद्धियों और लब्धियों का आश्रय स्थान हैं. गौतम ! शिष्यत्व की परम पराकाष्ठा का नाम है. गौतम !

इस पावन धाम के प्रति अपनी निष्ठा. आस्था और समर्पण भाव व्यक्त करें। आइए, इस पुण्यभूमि के जीर्णोद्धार के कार्य से जुड़कर अपने भाग्य को संवार लें। इस महातीर्थ के शास्त्रशुद्ध जीर्णोद्धार में सकल श्री संघ से निवेदन है कि लाभ प्राप्त कर पुण्यानुबंधी पुण्य का उपार्जन करें।

केवल ज्ञान भूमि

भगवान महावीर के प्रथम गणधर इंद्रभूति गौतम की केवल ज्ञान भूमि है यह तीर्थ परिसर 16 एकड़ में फैला हुआ है । पूर्व में यहां पर गौतम स्वामी का एक जल मंदिर था उसी को ध्यान में रखते हुए अभी भी जो जीवन उधर होकर के नया मंदिर बन रहा है उसे भी जल मंदिर का रूप दिया जा रहा है और एक मंदिर में ही चौमुखा महावीर स्वामी विराजमान होंगे और चौमुखा गौतम स्वामी भी विराजमान होंगे । मंदिर की विशेषता यह है कि यह पूरा ग्राउंड फ्लोर पर ही है। और इस समवशरण मंदिर के चारों तरफ 24 तीर्थंकरों की केवलज्ञान मुद्रा में देरी और उसके सामने वह वृक्ष जिसके नीचे उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ।

Gunayaji Tirth

Construction site for Goutam Swami's temple at Gunayaji Tirth

सूरि मंत्र

सूरि मंत्र में गौतम स्वामी की प्रमुख भूमिका है।

यहां पर आचार्य भगवंतों के सूरि मंत्र की साधना के लिए एक विशेष सूरि मंत्र मंदिर बनाया जाएगा ।


वर्ल्ड सेंटर आफ जैनिज्म

इस ऊर्जा क्षेत्र को एक वर्ल्ड सेंटर आफ जैनिज्म के माध्यम से डेवलप करने का प्रयास कर रहे हैं । यहाँ पर एक अत्याधुनिक म्यूजियम बनाया जा रहा है । जिसमें जैन धर्म किस तरह से आज के समय में चल रही बड़ी से बड़ी तकलीफों का हल कैसे निकल सकता है । उसका टेक्नोलॉजी के माध्यम से तथा वस्तु संग्रहालय के माध्यम से इसका पूरा प्रदर्शन किया जाएगा लगभग 80,000 स्क्वायर फीट का म्यूजियम बनने जा रहा है और इस म्यूजियम में काफी इंटरनेशनल कंसलटेंट ऑलरेडी काम कर रहे हैं । गौतम स्वामी के पूरे जीवन चरित्र को बड़े-बड़े विशिष्ट कलाकारों के द्वारा चित्रित किया जा रहा है। साधु-साध्वी जी के रुकने व साधना के लिए उपाश्रय । और यात्रिको के लिए अत्याधुनिक धर्मशाला और भोजनशाला का निर्माण हो रहा है।

Conceptual design of the Jainism World Center at Gunayaji Tirth